डर इंसान के जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। असफलता का डर, समाज का डर, शासक का डर, ...

@akdx · 2025-09-19 13:44 · DBuzz

... दुश्मन का डर, अनहोनी का डर आदि इंसानी जीवन को नियंत्रित करते हैं। गुलाम को मालिक का डर है तो मालिक को गुलाम के विद्रोह का डर सताता है। इस तरह डर इंसान के जीवन का भाग बन जाता है।

human #fear


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